सामाजिक उन्नति हेतु महात्मा गाँधी के शिक्षा के उद्देश्य, शिक्षण विधियाँ का एक अध्ययन | Original Article
गांधीजी की ने शिक्षा योजना का सबसे महत्वपूर्ण बिंदु समाज की जरूरतों के लिए स्कूली शिक्षा से संबंधित जोर है। वह कमाई करते समय लर्निंग की प्रणाली के माध्यम से इस उद्देश्य को प्राप्त करना चाहता था। उन्होंने शिल्प के शिक्षण को एक महत्वपूर्ण स्थान दिया। वर्तमान के स्कूलों के पाठ्यक्रम से यह देखा जाएगा कि कार्य अनुभव और सामाजिक रूप से उपयोगी उत्पादक कार्य एक महत्वपूर्ण स्थान पाते हैं। बचपन की शिक्षा के बारे में उनके विचार दिन के लिए काफी प्रासंगिक हैं। जीवन के शुरुआती चरणों के समुचित विकास के लिए अभिभावक शिक्षा पर जोर दिया जाता है। मातृभाषा के माध्यम से शिक्षा पर उनका जोर पूरे काल में स्वीकृत सिद्धांत है आज हम अपने बच्चों को एक और सहयोग के आदर्श की शिक्षा देते है,तो दूसरी ओर अपने बच्चों को प्रतिस्पर्द्धात्मक संसार के लिये भी तैयार करते हैं। इस प्रकार की द्वैत भावना के कारण हममित है, और आपस में बटे हुये हैं तथा संसार के संघर्ष में व्यष्टि को खो दिया है, क्योंकि कट्टर धार्मिक भावना एवं पारम्परिक दासता का बढ़ावा संसार में होता जा रहा है। इसी कारण महात्मा गांधी समाज की और शिक्षा की पुर्नरचना करना चाहते हैं। अतः शिक्षा शास्त्री के पुन रचना सम्बन्धी विचारों को अध्ययन करना भी हमारा और इस अध्ययन का लक्ष्य है।