वायु प्रदूषण का आर्थिक प्रभाव | Original Article
वायु अपने प्राकृतिक रूप में गैसों कुछ बहुत सूक्ष्म ठोस अजैविक और जैविक कणों और नमी का मिश्रण होती है। विभिन्न मानवीय क्रियाकलापों द्वारा तथा कुछ प्राकृतिक घटनाओं जैसे ज्वालामुखी विस्फोट, दावानल आदि के द्वारा प्राकृतिक वायु के इस संगठन में अवांछित परिवर्तन होते रहते हैं जिससे वायु का गुण-धर्म बदल जाते हैं। इसे ही हम वायु प्रदूषण कहते हैं। वायु में मिलने वाले प्रदूषक तरल, ठोस तथ गैस तीनों प्रकार के होते हैं। ‘‘गैसों में मुख्यतः सल्फर के ऑक्साइड, नाइट्रोजन के ऑक्साइड, कार्बन के ऑक्साइड हाइड्रोकार्बन और मीथेन आदि हैं। पार्टिकुलेट प्रदूषको में धुआँ, धूल, कालिख, एरोसॉल तरल बूँदें और पराग कण आदि है। इसके अतिरिक्त रेडियोधर्मी प्रदूषको में रेडान-222, आयोडीन-133, स्ट्रोंटीअम-90 और प्लूटोनियम-219 आदि रेडियोधर्मी पदार्थ शामिल हैं।’’[1]