Article Details

हिन्दु संस्कृति के पर्व-त्योहार की कहानियों में निहित शैक्षिक मूल्यों के विभिन्न पक्ष | Original Article

Manish Kumar*, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

भारतीय संस्कृति में व्रत, पर्व-त्योहार उत्सव, मेले आदि अपना विशेष महत्व रखते हैं। हिन्दूओं के ही सबसे अधिक त्योहार मनाये जाते हैं, कारण हिन्दू ऋषि-मुनियों के रूप में जीवन को सरस और सुन्दर बनाने की योजनाएँ रखी है। प्रत्येक पर्व-त्योहार, व्रत, उत्सव, मेले आदि का एक गुप्त महत्व हैं। प्रत्येक के साथ भारतीय संस्कृति जुडी हुई है। वे विशेष विचार अथवा उद्देश्य को समाने रखकर निश्चित किय गये हैं।मूल्यों को पुनः प्रतिष्ठा के लिए मूल्यपरक शिक्षण की आवश्यकता पर विशेष बल दिया गया है। मूल्यपरक शिक्षा आज समय की मांग बन गई है। अतः इसे शीघ्रतिशीघ्र लागू करने की आवश्यकता है। राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद् को इसके स्वरूप एवं तदर्भ आवश्यक क्रियान्विति-योजना निर्धारित करने का कार्य सौंपा गया है। एतदर्थ पुरस्सृत निम्नांकित नीति निर्देश लक्ष्यनिष्ठ है। “सारभूत मूल्यों के गिरते हुए स्तर के प्रति बढ़ती हुई चिन्ता और समाज में बढ़ती हुई कटुता से यह जरूरी हो गया है। कि पाठ्यचर्या में पुनर्समायोजन लाया जाए ताकि शिक्षा को सामाजिक, नीतिपरक और नैतिक मूल्य पैदा करने के लिए एक सशक्त साधन बनाया जा सके। हमारे सांस्कृतिक और विराट समाज में शिक्षा के जरिये विकसित किये जाने वाले मूल्यों में सार्वभौमिक भावना होनी चाहिए और इनसे हमारे लोगों में एकता और एकीकरण की भावना विकसित होनी चाहिए। इस प्रकार की मूल्य शिक्षा रूढ़िवाद, धार्मिक कट्टरता, हिंसा, अन्धविश्वास और भाग्यवाद को समाप्त करेगी। इस निर्णायक भूमिका के अतिरिक्त, मूल्य शिक्षा की एक गहन ओर ठोस विषयवस्तु हमारी विरासत, राष्ट्रीय और सार्वभौमिक उद्देश्य और विचारों पर आधारित है। इसमें इस पहलू पर मुख्य रूप से दिया जाना चाहिए।