महिला अधिकार एवं मीडिया सहभागिता : एक अध्ययन | Original Article
नारी एक ऐसा शब्द जो अपने आपमें सम्पूर्णता अर्थ समेटे हुए हैं। आधी आबादी का दर्जा लेकर देश की सामाजिक-आर्थिक –राजनैतिक धुरी को समेटे हुए नारी, अपनी ताकत और खास पहचान की बदौलत ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी में भी सर्वमान्य शब्द के रूप में अधिकृत दर्जा प्राप्त कर चुकी है। हिंदी वर्ड ऑफ द ईयर के रूप में भारत में 2018 में 'नारीशक्ति' शब्द को सबसे अधिक प्रचलित होने के कारण ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी के शब्दकोश में शामिल किया गया। ये नारी शब्द की ताकत होने के साथ- साथ आजादी के इतने वर्षों के बाद भी महिलाओं की उस स्थिति की तरफ़ संकेत करता है जो पूर्व की महिला स्थिति से अलग हट कर महिलाओं के विकास की तरफ़ इशारा कर रहा है। किसी भी देश के विकास के लिए सबसे महत्वपूर्ण जरूरत वहाँ की महिलाओं की स्थिति है। जिस देश की महिलाओं की स्थिति जितनी सशक्त होगी वो उतना विकास पथ पर बढ़ता जाएगा। कई ऐसी समस्याएं देश के विकास में बाधक है जिनका समाधान महिला सशक्तिकरण किए बिना असंभव है। अर्थव्यवस्था और राजनीति हो या शिक्षा और स्वास्थ्य की गुणवत्ता में सुधार की बात हो, महिलाओं की भूमिका के बगैर ये काम संभव नहीं है। लेकिन जहां लगभग अस्सी प्रतिशत महिलाएं ग्रामीण निरक्षर हैं, उनसे इन सभी भूमिकाओं को निभाने की उम्मीद तभी की जा सकेगी जब उन्हें अपनी इन क्षमताओं एवं अहमियत का पता हो। मीडिया द्वारा अनेक जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। जिनके द्वारा महिलाओं को उनके अधिकारों व संविधानों में उल्लेखित जानकारीयो के बारे में सूचित किया जा रहा है। भले ही संविधान ने महिलाओं को उनके विकास के लिए अधिकार दे दिए हो। परन्तु आज भी महिलाओं को अपने अधिकारों के लिए सही कानून की जानकारी के लिए जागरूक होने की आवश्यकता है। इसमे सबसे अहम भूमिका निभाई हैं। 'मीडिया ने, संविधान ने महिलाओं को सभी तरह के अधिकार दे दिए, इन अधिकारों को लागू करने के लिए कानून भी बना दिए लेकिन इनका लाभ तो तब होगा जब महिलाओं को इनकी जानकारी होगी और यहां पर महत्वपूर्ण हो जाती है मीडिया की भूमिका। मीडिया की भूमिका के बगैर ये काम मुश्किल ही नहीं बल्कि असंभव है। जनसंचार के विभिन्न माध्यम महिलाओं में जागरूकता लाकर, उन्हें अपने अधिकारों एवं भूमिकाओं के बारे में सजग बनाकर उनका सशक्तिकरण करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं लेकिन महिलाओं की वर्तमान स्थिति को देखते हुए कहा जा सकता है कि अभी इस मुद्दे पर काफी कुछ किया जाना बाकी है।