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भारत पर विदेशी ऋण | Original Article

Swathi Sharma*, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

आर्थिक विकास की प्रक्रिया में अल्पविकसित देश की विकसित देश परिवर्तित होने की प्रक्रिया जटिल होती है। मजबूत आर्थिक स्थिति, उच्च आय और जीवन स्तर मजबूत अधो -संरचना, आधुनिक यातायात, परिवहन व संचार के साधन, पर्याप्त ऊर्जा, समस्त उत्पादन के साधनों का कुशलता पूर्वक दोहन जैसे अनके लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए पर्याप्त वित्त की आवश्यकता होती है। परंतु पूंजी की कमी निम्न आय, कम बचत और विनियोग जैसी समस्या के साथ वित्त की व्यवस्था जो आर्थिक विकास की प्रक्रिया को तीव्र करने, कुल उत्पादन और राष्ट्रीय आय में वृद्धि करने तथा आवश्यक संसाधन जुटाने के लिए सरकार के द्वारा सार्वजनिक ऋणों का प्रयोग किया जाता है तांकि देश वांछित लक्ष्य को प्राप्त कर सामाजवादी व लोक कल्याणकारी राज्य की स्थापना कर सकें।