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अलवर ज़िले के जल संसाधनों का भौगोलिक अध्ययन | Original Article

Ajeet Singh*, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

पानी एक मूल्यवान संसाधन है। यह कहीं न कहीं विकास और विनाश का कारक बन जाता है। जनसंख्या वृद्धि और भविष्य की जरूरतों के मद्देनजर, पानी की प्रत्येक बूंद की उपयोगिता बढ़ गई है। इसलिए, जनसंख्या के दबाव और आवश्यकता के अनुसार जल संसाधनों का उचित उपयोग करने की योजना के अनुसार, एक लक्ष्य निर्धारित किया गया है। पृथ्वी पर बारिश की बूंद के साथ जल संरक्षण और विकास किया जाना चाहिए। इसके लिए नदी मार्गों पर बांधों और जलाशयों का निर्माण करना होगा ताकि भविष्य में हमें पीने का शुद्ध पानी, सिंचाई के लिए पानी, मत्स्य पालन और औद्योगिक कार्य मिल सकें। इसके साथ-साथ, हम बाढ़ और कम वर्षा, कम जल स्तर, नहरों आदि में सूखे की आशंका और सूखे से प्रभावित क्षेत्रों में पानी की आपूर्ति से राहत पा सकते हैं। पानी का मुख्य और महत्वपूर्ण स्रोत मानसूनी वर्षा है। ऊपरी महानदी बेसिन में मानसूनी वर्षा होती है। इसके कारण वर्षा की अनियमितता, अनिश्चितता और असमान वितरण पाया जाता है। इस असमानता को दूर करने के लिए बेसिन में जल संसाधन संरक्षण की आवश्यकता है। पानी एक प्राकृतिक उपहार है, जिसका उपयोग विवेकपूर्ण तरीके से किया जाना है। अलवर जिले में पानी का मुख्य स्रोत सतह और भूजल है। सतही जल में नदियाँ, नहरें और जलाशय हैं जबकि भूजल में कुएँ और नलकूप प्रमुख हैं। इसलिए, इस शोध कार्य में हम भौगोलिक रूप से अलवर जिले के जल संसाधनों का अध्ययन कर रहे हैं।