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अन्तर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य शिक्षा, शारीरिक शिक्षा का महत्व | Original Article

Sanjeev Kumar Gupta*, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

अन्तर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य शिक्षा, शारीरिक शिक्षा, खेलकूद एवं मनोरंजन परिषद के द्वारा अनुच्छेद-1 में यह घोषणा की गई है कि खेलकूद को समस्त बच्चों को मौलिक अधिकार के रुप में प्रदान किया जावे। इसी अंतर्राष्ट्रीय समिति ने अपने अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी 1978 के दौरान अनुच्छेद-4 के द्वारा अपनी घोषणा में शारीरिक शिक्षा एवं खेलकूद के प्रबन्धन की जिम्मेदारी सिर्फ स्वास्थ्य शिक्षा, शारीरिक शिक्षा एवं खेलकूद के दक्ष व्यक्तियों के जिम्मे करने हेतु अनुमोदन किया है। संयुक्त राष्ट्र संघ के द्वारा निर्मित शैक्षणिक अंतर्राष्ट्रीय एवं वैज्ञानिक संगठन की (युनेस्को) संघी के अनुरुप भारत गणराज्य ने संधि पर सहमति दी है कि भारत गणराज्य संयुक्त राष्ट्र संघ के शैक्षणिक एवं वैज्ञानिक संगठन के द्वारा अंतर्राष्ट्रीय खेलकूद शारीरिक शिक्षा एवं मनोरंजन परिषद के अंतराष्ट्रीय घोषणा का पालन करेगा। भारत सरकार के द्वारा समय-समय पर भारत के विभिन्न मंत्रालयों के कार्यक्रमों एवं कार्यो की समीक्षा हेतु, अनेको संसदीय समितियों का गठन किया जाता है, उक्त समितियों में लोकसभा एवं राज्यसभा के सांसद, प्रतिनिधि होते है भारत गणराज्य के द्वारा गठित उक्त समितियां विभिन्न मंत्रालयों के कार्यों एवं केन्द्रों पर जाकर मंत्रालय के द्वारा सम्पन्न कार्यों की समीक्षा कर अपना प्रतिवेदन भारतीय संसद के समक्ष प्रस्तुत करती हैं उक्त प्रतिवेदन में विभिन्न मंत्रालयों के अच्छे कार्यो को प्रोत्साहित किया जाता है एवं मंत्रालयों के निरन्तर सुधार हेतु अनुशंसा प्रस्तुत की जाती है। इसी तारतम्य में भारत सरकार के द्वारा युवा कार्यक्रम एवं खेलकूद की संसदीय समिति का भी गठन प्रत्येक वर्ष किया जाता है। वर्ष 1992 में मानव संसाधन विकास मंत्रालय के युवा कार्यक्रम एवं खेल विभाग की समीक्षा हेतु गठित संसदीय समिति ने अपने प्रतिवेदन में भारत के खेलकूद के कार्यक्रमों हेतु चलाये जाने वाले विभिन्न कार्यों की समीक्षा कर खेलकूद में भारत की व्यथा पर अत्यन्त खेद व क्षोभ प्रकट करते हुए अपने सुझाव प्रस्तुत किये।