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मेवात क्षेत्र में कृषि आधारित उद्योगों की विकास योजनाएं | Original Article

Chirnji Lal Raigar*, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

प्रस्तुत शोध पत्र में मेवात क्षेत्र में कृषि आधारित उद्योगों की विकास योजनाओं का अध्ययन किया गया है। कृषि आधारित उद्योग तुलनात्मक रूप से कम निवेश वाले, ग्रामीण क्षेत्रों में आय स्थापित करने और रोजगार प्रदान करने वाले होते हैं। ये उद्योग कृषि-आधारित कच्चे माल के प्रभावी और कुशल उपयोग की सुविधा प्रदान करते हैं। कृषि-आधारित उद्योग ग्रामीण क्षेत्रों में एक औद्योगिक संस्कृति का संचार करते हैं और इस प्रकार ग्रामीण क्षेत्रों में आधुनिकीकरण और नवाचार लाते हैं। कृषि-आधारित कुछ उद्योगों जैसे प्रसंस्कृत खाद्य और खाद्य पदार्थों में सबसे अधिक निर्यात क्षमता होती है। विकास प्रक्रिया में ग्रामीणों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए कृषि-आधारित उद्योगों की स्थापना समय की माँग है। राजस्थान के मेवात क्षेत्र की अर्थव्यवस्था निरन्तर आगे बढ़ रही है। अलवर भरतपुर के मेवात के ग्रामीण क्षेत्रों में फसलों से प्राप्त उत्पादों के प्रसंस्करण व परिरक्षण से अनेक कृषि-आधारित उद्योगों का प्रशिक्षण प्राप्त कर स्वरोजगार के रूप में अपनाया जा रहा है। जैसे मूंगफली से भुने हुए नमकीन दाने, चिक्की, दूध व दही बनाना, सोयाबीन से मंगोड़ी बनाना, फलों से जूस, जैली बनाना, आलू की चिप्स बनना व अंगूर से शराब व अल्कोहल बनाना। विभिन्न तिलहनों से तेल निकालना, दलहनी उत्पादों से दालें बनाना, धान से चावल निकालना आदि। इसके अलावा, दूध के परिरक्षण व पैकिंग के साथ-साथ इससे बनने वाले विभिन्न उत्पादों जैसाकि दूध का पाउडर, दही, छाछ, मक्खन, घी, पनीर आदि के द्वारा दूध का मूल्य-संवर्धन किया जा सकता है। फूलों से सुगंधित इत्र बनाना, लाख से चूड़ियां तथा खिलौने बनाना, कपास के बीजों से रूई अलग करना तथा दबाव डालकर रूई का गठ्ठर बनाना एवं सण से रेशे निकालना। कृषि के विभिन्न उत्पादों से अचार एवं पापड़ बनाना आदि के द्वारा मूल्य-संवर्धन किया जा सकता है और कम पूंजी लगाकर स्वरोजगार प्राप्त किया जा सकता है।