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गुप्तकाल का भारतीय समाज एवं संस्कृति पर प्रभाव | Original Article

Meena Ambesh*, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

गुप्त काल (319-550 ई.) को भारतीय इतिहास का स्वर्ण काल कहा जाता है। इतिहासकारों ने इसे शास्त्रीय युग भी कहा है। हालाँकि हर युग या अवधि की संस्कृति की अपनी विशेषता होती है, लेकिन जहाँ तक गुप्त काल की सभ्यता और संस्कृति का सवाल है, इस युग में, भारतीय समाज ने न केवल जीवन के हर क्षेत्र में असाधारण प्रगति की, बल्कि इसका सर्वांगीण विकास भी किया। इस अवधि की राजनीतिक, आर्थिक, धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक और कलात्मक प्रगति के आधार पर यह निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि गुप्त काल की महिमा और गरिमा इतनी व्यापक थी कि इसे प्राचीन भारत के स्वर्ण युग के रूप में जाना जाता है। गुप्त काल की चहुंमुखी प्रगति और चकाचौंध की चमक सोने जैसी थी। इस युग में, साहित्य और कला का विकास एक अभूतपूर्व विकास था। इस शोध पत्र में, हम आर्थिक शासन, आर्थिक स्थिति, धर्म, समाज, शिक्षा और साहित्य, कला और साहित्य विकास के मुख्य पहलुओं से अवगत होने का प्रयास करेंगे।