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अवध का भाग्य निर्माण | Original Article

Manjay Pd. Kashyap*, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

जैसा कि पूर्व से विदित है कि अवध ऐसे भ्रष्टाचार तथा शासन सम्बन्धी बुराईयों का दृश्य बन गया था, जो कर्नाटक से भी बढ़कर था। सर जॉन मेकफर्सन की सरकार ने उन्हें हटाने का कोई प्रयत्न नहीं किया। उसकी सरकार को कार्नवालिस ने ‘‘अत्यन्त घृणित भ्रष्टाचार की व्यवस्था बतलाया है। परन्तु अवध के वफर राज्य का कम्पनी के लिए सामरिक महत्व था। कम्पनी के हितों का तकाजा था, कि अवध को बंगाल का उत्तरी-पश्चिमी सीमा पर रक्षा की एक मजबूत दीबार बनाया जाय। अवध कार्नवालिस के ध्यान से बच नहीं सका। नवाब आसफुद्दौला के मंत्री हैदरबेग के साथ उसने भेंट की। उसने कार्नवालिस से प्रार्थना की कि नवाब बजीर के राज्य में स्थित कम्पनी के सिपाहियों के बड़े भाग को तुरन्त हटा लिया जाय। कार्नवालिस उस बात पर राजी हो गया कि नवाब वजीर यदि अपना कर समय पर दिया करे तो यह घटाकर 74 से 50 लाख कर दिया जायेगा। परन्तु उसके कम्पनी के फौजी दस्तों को हटाने से इन्कार किया।