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भौगोलिक परिस्थितियाँ और भारत में कृषि उत्पाद वृद्धि नवाचार व उनकी प्रासंगिकता | Original Article

Santosh Anand*, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

विकासशील देशों में कृषि क्षेत्र उनकी अर्थव्यवस्था के लिए रीढ़ की हड्डी (बैकबोन) होती है। भारत में, 50 से अधिक आबादी कृषि पर निर्भर है, जिसका अर्थ है कि ये आबादी अधिकत्तर मानसून और जलवायु पर निर्भर है, क्योंकि भारत की कृषि मुख्य रूप से वर्षा सिंचित है। इस प्रकार यह तथ्य यहाँ के कृषि अर्थव्यवस्था को ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव के प्रति अतिसंवेदनशील बनाता है। साथ ही यह आस-पास के पर्यावरण, पारिस्थितिक तंत्र एवं कृषकों की आजीविका को सुभेद्य बना देता है। इसके अतिरिक्त, कृषि में अपर्याप्त सार्वजनिक क्षेत्र का निवेश, अनुसंधान हेतु धन की कमी, फसल की विविधीकरण के प्रति किसानों का प्रतिरोध तथा अधिक संसाधनों की आवश्यकता आदि के कारण, जलवायु परिवर्तन से निपटने में कृषि क्षेत्र पूरी तरह असमर्थ है। दुर्गम भू-भाग के अलावा गरीबी और आय के साधनों के सीमित अवसर के कारण कृषक जलवायु परिवर्तन तथा इनके प्रभाव के प्रति सुभेद्य हो जाते है।