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अविवेकपूर्ण नगर नियोजन व पेयजल संकट (भीलवाड़ा नगर का विशेष अध्ययन) | Original Article

Santosh Anand*, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

प्राचीनकाल से ही नगर मानव की विकास यात्रा के प्रतीक रहे हैं। नगरों की अवधारणा के पीछे अपने यायावर जीवन को स्थायित्व व समग्र सुरक्षा मानव का प्रमुख ध्येय रहा है। यह तथ्य प्रमाणित है कि स्थान विशेष की भौगोलिक विशिष्ठताऐं मानव को लौकिक व परालौलिक गतिविधियों हेतु आकर्षित करती है और कालान्तर में वही तत्व उस नगर की उपादेयता व प्रासंगिकता को भी तय करते हैं। इतिहास गवाह है कि मानव की लौकिक विकास की भूख ने ही नगरों के कार्यिक विशिष्टताओं के मार्ग खोले हैं।