उपनिवेशिक सरकार के विरुद्ध प्रथम सशसत्त जन जातीय विद्रोह के रूप में संथाल विद्रोह | Original Article
बिहार के जनजातीय समाज में अब तक जितने भी संघर्ष हुए हैं, उनका एक प्रधान पहलु सामुदायिक पहचान बचाना रहा है जोत जमीन के रक्षा के लिए जमीन से जुड़े आदिवासियों के आंदोलन के एक लंबा इतिहास है। अपने भूमि व्यवस्था के शत-विशत होने और ईसाई मिशनरियों के प्रभाव के फलस्वरूप आदिवासी द्वारा अपनी संस्कृति को पुनर्जीवन देने के लिए भी आंदोलन हुए हैं, सामाजिक आंदोलन की पृष्ठभूमि में सामाजिक संरचना में बदलाव लाने या बदलाव का विरोध करने के लिए संगठित प्रयास ही रहा है।