Article Details

पर्यावरण एवं राजनीतिक विश्लेषण: गांधीय प्रतिमान | Original Article

Ashok Kumar Mahala*, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

महात्मा गांधी के चिन्तन का क्षेत्र बहूत व्यापक एवं बहुआयामी है। गांधी मात्र विचारक, नेता तथा समाज सुधारक ही नहीं थे। अपितु राजनीति, चितंक एवं दर्शन को नया मोड़ देने वाले सक्रिय राजनीतिज्ञ, सन्त एवं विचारशील चिन्तक थे। गांधी के चिन्तन एवं कर्म का यद्यपि एक सन्दर्भ विशेष रहा है लेकिन वे केवल भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन एवं आधुनिक भारत की परिधि में ही आबद्ध नहीं किये जा सकते। वे निरन्तर मानवीय समस्याओं से जुड़े होने के कारण शाष्वत मूल्यों के उपासक रहे। समस्याएँ चाहे पश्चिमी दुनिया की हों अथवा तृतीय विश्व के नवोदित राष्ट्रों की, उनके समाधान में कहीं न कहीं प्रत्यक्षतः अथवा अप्रत्यक्षः गांधी की समबद्धता झलकने लगती है। गांधीजी के विचारों से पर्यावरण प्रदूषण व संरक्षण की चुनौती का सामना करने का एक बेहतरीन तरीका मिलता है जो व्यक्तिगत व वैश्विक दोनों ही स्तरों पर व्यवहारिक भी है। गांधीजी के मार्ग पर चलकर हम पर्यावरण संरक्षण के कई उपाय व्यक्तिगत व वैश्विक स्तर पर कर सकते हैं। चूंकि पर्यावरण राजनीतिक चिन्तन में एक नयी अवधारणा के रूप में उभरी है, वर्तमान में पर्यावरण राजनीति विज्ञान में एक बहुआयामी, अन्तर्विषयी, लोककल्याणकारी, मानवाधिकारों से जुड़ी संकल्पना बन गयी है।