Article Details

भाव्यवाद | Original Article

Veemmi Rani*, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

महाभारत में नियति या भाग्य के अस्तित्व को दैव इच्छा के परिप्रेक्ष्य में स्वीकारा गया है। महाभारत में कहा गया है कि ‘‘यदि कभी कोई पुरुषार्थ सफल होता दिखाई देता है तो वहाँ भी खोज करने पर दैव का ही सहयोग सिद्ध होता है’’[ 40]