नागार्जुन की अर्थवैज्ञानिक रचनाओं का अध्ययन | Original Article
संरचना के स्तर पर भाषा यादृच्छिक घ्वनि-प्रतीकों की सुनिश्चित व्यवस्था होती हैं। इसका प्रयोजन होता है-सम्प्रेषण, जिसे अर्थ कहते हैं। अंग्रेजी में ध्वनि के लिए साउण्ड और फोनिम दो शब्द हैं। साउण्ड सामान्य ध्वनि के अर्थ में प्रयुक्त होता है जबकि भाषा में आनेवाली ध्वनियों को भाषाविज्ञान में फोनिम कहा जाता है। नागार्जुन ऐसे लेखक हैं जिन्होंने नामों को ग्रहण करने में किसी निश्चित दृष्टिकोण या विचार को नहीं अपनाया है। आवश्यकतानुसार सभी स्रोत वाले नाम आ गये हैं, स्त्री पुरूषों के नामों और स्थानों के नामों में भी। संज्ञा और उसके विकारों लिंग, वचन आदि की दृष्टि से विचार करने पर हमें पुलिंग शब्दों से बने स्त्री नाम मिलते है। ऐसे नाम तत्सम रूप भी हैं और तद्भव रूप भी। जैसे, गुह्येश्वर, धनेश्वर, गुंजेश्वर, भुवनेश्वर, महेश्वर आदि शब्दों की सत्ता तत्सम रूप में ही प्रतिष्ठित है।