बुंदेलखंड कृषि-जलवायु प्रदेश (म.प्र.) में भूमि उपयोग प्रतिरूपः एक कालिक एवं स्थानिक अध्ययन | Original Article
यह शोध पत्र उन विश्लेषणों के परिणामों को प्रस्तुत करता है जो हाल के वर्षों में बुंदेलखंड कृषि .जलवायु प्रदेश (म.प्र.) में भूमि उपयोग के मुद्दे को संबोधित करते हैं। भूमि एक दुर्लभ संसाधन है, जिसकी आपूर्ति एक ही समय में सभी व्यावहारिक उद्देश्यों के लिए तय की जाती है। मानव आबादी में वृद्धि और आर्थिक विकास के साथ विभिन्न प्रतिस्पर्धा के उद्देश्यों के लिए भूमि की मांग लगातार बढ़ रही है। किसी भी समय भूमि उपयोग प्रतिरूप मानव और पशुधन आबादी के आकार, मांग प्रतिरूप, प्रौद्योगिकी विकास, सांस्कृतिक परंपराओं, भूमि की स्थिति और क्षमता, स्वामित्व प्रतिरूप और अधिकारों और राज्य विनियमन जैसे संस्थागत कारकों सहित कई कारकों द्वारा निर्धारित किया जाता है। मनुष्य, भूमि का उपयोग कृषि, शहरी विस्तार, औद्योगिक गतिविधियों, अवसंरचनात्मक विकास आदि विभिन्न उद्देश्यों के लिए करता है। बढ़ती जनसंख्या के कारण देश में भूमि संसाधन पर अतिरिक्त दबाव आया है। इस पत्र में दिखाया गया है कि अध्ययन क्षेत्र में कृषि को छोडकर अन्य कार्यो मे लाई गई भूमि में 5.37 से 6.38 की वृद्धि होती है, और वर्तमान कुल परत भूमि, कुल क्षेत्र के 15.43 से घटकर 12.05 रह गयी है, और समय में निरा फसल का क्षेत्र कुल भूमि का 49.64 से 51.84 के मामूली वृद्धि हुई है। साथ ही साथ इसमे स्थानिक विविधता भी दिखाए पडती है।