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राष्ट्रीय आन्दोलन में महिलाओं की भागीदारी (प्रयागराज के संदर्भ में) | Original Article

Anju Srivastava*, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

अनेक अंग्रेज विद्वानों का मानना है कि भारत में राष्ट्रीयता की भावना का उदय पूर्णता अंग्रेजी शासन की देन है। भारत तो सर्वदा से विभिन्न भाषाओं जातियों रीति-रिवाजों धर्मों विचारधाराओं और राजनीतिक विभक्ति वाला देश रहा है। जिसकी तुलना सहज ही एक अजायब घर से की जा सकती है। ऐसे देश में राष्ट्रीय भावना के होने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता है। इस कारण राष्ट्रीय भावना की उत्पत्ति का श्रेय अंग्रेजी शासन को ही जाता है। परंतु अंग्रेज विद्वानों का उपरोक्त विचार तर्कसंगत और मान्य नहीं है। निसंदेह भारत विविधताओं का देश रहा है। उसके विस्तृत आभार और विचारधारा के अंतर्गत विभिन्न धर्म भाषाएं रीति रिवाज इत्यादि पनपते रहे हैं परंतु फिर भी इन विभिन्नताओं के पीछे मूल आधार पर हम भारत में एकता पाते हैं। राजनीतिक दृष्टि से विभक्त होते हुए भी सांस्कृतिक आधार पर भारत में मूलतः सर्वदा एकता विद्यमान रही है। वैदिक धर्म हिंदू रीति-रिवाज समान तीर्थ स्थान वेशभूषा और आचार विचारों की समानता ने भारत को सर्वदा एकता प्रदान की है। डॉक्टर अस्मित जैसे पश्चात विचारक में भी भारत की मौलिक एकता के संदर्भ में लिखा है कि भारत में विभिन्न नेताओं के मध्य इसके निवासियों में एक विशेष प्रकार की समानता और संस्कृति का विकास किया है। जो अन्य संस्कृतियों से। इससे हिंदुत्व कहा जा सकता है समय-समय पर बड़े-बड़े सास को जैसे अशोक महान और मुगल सम्राट अकबर ने भारत को राजनीतिक एकता प्रदान की है इस कारण भारतीयों में सर्वदा यह भावना रही है कि वह एक देश के नागरिक हैं। मध्यकालीन मुस्लिम संप्रदाय भी भारत में इतना घुल मिल गया था कि जब तक अंग्रेजों ने हिंदू और मुसलमानों के अंतर पर बल दिया भारतीय मुसलमान किसी पृथक राज्य का विचार तक नहीं कर सके और ना भारत में बाहर किसी अन्य देश को अपना देश मानते थे। इस प्रकार राष्ट्रीय भावना के निर्माण के सहायक तत्व भारत में पहले से ही विद्यमान थे यद्यपि संदेह नहीं कि राष्ट्रीय भावना का विकास अंग्रेजी शासनकाल से पहले संभव नहीं हुआ। परंतु यह स्थिति भारत में ही नहीं थी सॉन्ग यूरोप में भी राष्ट्रीय भावना की उत्पत्ति हमें 19वीं शताब्दी मैं प्राप्त होती है इस कारण यदि भारत में इसका आरंभ 19वीं सदी के उत्तरार्ध में हुआ तो कोई विशेष बात नहीं है अतः यह कहना अधिक उपयुक्त होगा कि राष्ट्रीय भावना के निर्माण तारीख तक तो भारत में अंग्रेजी शासन काल से पहले ही विद्यमान थे परंतु अंग्रेजी शासनकाल में अनेक कारणों से इस भावना को संगठित होने का अवसर प्राप्त हुआ जिसके कारण भारत में राजनीतिक आंदोलन का सूत्रपात हुआ तथा उनके कारणों में से कुछ महत्वपूर्ण कारणों को खोजा जाए तो यह कहना पूर्णता उपयुक्त होगा कि संपूर्ण विश्व में उभरती हुई राष्ट्रवाद की भावना जिसका विकास 1789 मैं हुई फ्रांस की राज्यक्रांति से हुआ। भारत में राष्ट्रीय भावना की उत्पत्ति में 19वीं शताब्दी के सामाजिक और धार्मिक आंदोलनों का विशेष महत्वपूर्ण योगदान रहा है और इसमें खास करके महिलाओं की भागीदारी मुख्य है।