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डॉ. राजेन्द्र प्रसाद और 1937 के प्रांतीय सरकार में कांग्रेसी मंत्रिमंडल की भूमिका | Original Article

Vivek Kumar*, Shyam Kishore Singh, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

यह इकाई वर्ष 1936-39 के दौर के राजनीतिक घटनाक्रम पर प्रकाश डालती है। यह वह दौर था जब कांग्रेस ने आंदोलन और जन संघर्षों का रास्ता छोड़ दिया था, और दूसरी बार संवैधानिक राजनीति के चरण में प्रवेश किया था। लेकिन, पहले के स्वराजवादी चरण के विपरीत, इस बार कांग्रेस का इरादा संवैधानिक तरीकों का परीक्षण करना था। इसी के अनुरूप कांग्रेसियों ने अपनी सफलता के लिए काम किया। परंतु इसका मतलब यह नहीं है। कि संवैधानिक तरीका अपनाने के सवाल पर कांग्रेसियों में मतभेद नहीं थे। दरअसल कांग्रेस द्वारा लिए गये किसी भी निर्णय पर अमल से पहले जोरदार बहस होती थी। हालांकि ब्रिटिश साम्राज्यवाद के विरुद्ध लड़ाई के मूल सवाल पर सहमति थी, फिर भी इस लड़ाई के लिए अपनाये जाने वाले तरीकों को लेकर कांग्रेसियों में विवाद था। यह वही समय था जब वामपक्ष कांग्रेस के भीतर अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा था। वामपक्ष और दक्षिणपक्ष विभिन्न मसलों पर वाद-विवाद और बहस करते थे। एक उत्तेजक बहस के बाद कांग्रेस ने 1937 में चुनाव लड़ने का फैसला किया और उसे सात प्रांतों में सरकार बनाने में सफलता मिली।