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चंपा रण सत्याग्रह तथा भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन पर इसका प्रभाव | Original Article

Upendra Kumar*, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

भारतवर्ष के सभ्यता इतिहास में पुरातन सभ्यताऐं सिन्धु घाटी, मोहनजोदडो जैसी सम्पन्न सभ्यताओं के पुरातन प्राप्त अवशेषों एवं भारत के कई प्राचीन ऋषि ग्रंथों में मेघवाल समाज की उत्पत्ति एवं उन्नति की जानकारीयां मिली हैं. साथ ही समाज के प्रातरू स्मरणीय स्वामी गोकुलदास जी द्वारा सदग्रंथों से प्राप्त जानकारी के आधार पर भी समाज के सृजनहार ऋषि मेघ का विवरण ज्ञात हुआ है. मेघवाल इतिहास गौरवशाली ऋषि परम्पराओं वाला तथा शासकीय स्वरूप वाला रहा है. मेघऋषि का इतिहास भारत के उत्तर-पश्चिमी भूभाग की सरसब्ज सिन्धुघाटी सभ्यता के शासक एवं धर्म संस्थापक के रूप में रहा है जो प्राचीनकाल में वस्त्र उद्दोग, कांस्यकला तथा स्थापत्यकला का विकसित केन्द्र रहा था. संसार में सभ्यता के सूत्रधार स्वरूप वस्त्र निर्माण की शुरू आत भगवान मेघ की प्रेरणा से स्वयं भगवान शिव द्वारा ऋषि मेघ के जरिये कपास का बिजारोपण करवाकर कपास की खेती विकसित करवाई गयी थी. जो समस्त विश्व की सभ्यताओं के विकास का आधार बना. समस्त उत्तर-पश्चिमी भूभाग पर मेघऋषि के अनुयायियों एवं वंशजों का साम्राज्य था. जिसमें लोगों का प्रजातांत्रिक तरीके से विकास हुआ था जहां पर मानवमात्र एकसमान था. लेकिन भारत में कई विदेशी कबीले आये जिनमें आर्य भी एक थे, उन्होंने अपनी चतुराई एवं बाहुबल से इन बसे हुये लोगों को खंडित कर दिया