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महात्मा गाँधी के शैक्षिक विचार और उसके विभिन्न आवश्यक उपागम | Original Article

Gaurav Suman*, Ramakant Sharma, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

महात्मा गाँधी की दृष्टि में शिक्षा का तात्पर्य केवल औपचारिक ज्ञान नहीं, बल्कि व्यवहारिक और अनुभवगत ज्ञान है, जो मानव को एक नयी दृष्टि और मौलिक चिंतन की विशेषता प्रदान करती है। वास्तविकता तो यह है कि प्रत्येक शिशु को प्रांरभिक शिक्षा सर्वप्रथम अपने परिवार में ही प्राप्त होती है। गाँधीजी की संकल्पना में शिक्षा वही है, जो बच्चों के अज्ञान के अंधकार को विनष्ट कर दे और उसकी जगह एक नई ज्ञान-रोशनी और जिज्ञासा-पिपासा जागृत कर दें। सही शिक्षा वह है जो बच्चों के अंदर विद्यमान सर्वोतम तत्व को बाहर निकाल दे और उसे सही और सुन्दर मार्ग की ओर अग्रसर होने की प्रेरणा दे। बच्चे के शारीरिक, मानसिक और आत्मिक विकास में जो सहयोग करे वही वास्तविक शिक्षा है। शिक्षा को गाँधीजी ने एक ऐसे महत्वपूर्ण साधन के रूप में माना है, जिससे बच्चे के व्यक्तित्व का सर्वांगीण और सम्यक विकास होता है।