पारिवारिक एवं संस्थागत परिवेश का किशोरों के जीवन मूल्यों पर प्रभाव | Original Article
पिछले दो या तीन दशकों में, दुनिया भर की सरकारों ने – भारत सहित–शिक्षा के सभी क्षेत्रों में लिंग संबंधी और सामाजिक पक्षपातों को संबोधित करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता की घोषणा की है। इस अवधि में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा में और उसे शिक्षकों द्वारा कैसे प्रदान किया जा सकता है उसमें आमूल–चूल परिवर्तन हुए हैं। बदलते रुझानों को निम्न प्रकार से संक्षेप में सारांशित किया जा सकता है • असमताओं को दूर करने पर अधिक जोर • सभी के लिए न्यायोचित शिक्षा • बच्चे पर केंद्रित, जरूरत पर आधारित शिक्षा • सीखने की प्रक्रिया में हर बच्चे की प्रतिभागिता को अधिकाधिक करना। ये रुझान प्रमुख भारतीय नीति दस्तावेजों में प्रतिबिंबित हैं, जिनमें शिक्षा पर राष्ट्रीय नीति (एनपीई, 1986), द नेशनल करिकुलम फॉर एलीमेंटरी एंड सेकंडरी एजुकेशन (1988), और द रिवाइज्ड एनपीई एंड प्रोग्राम फॉर एक्शन (1992) इत्यादि शामिल हैं।