अम्बेडकर नगर में जनसंख्या गत्यात्मकता और परिवार कल्याण | Original Article
संसार के विभिन्न भू-भागों में प्राकृतिक वातावरण को संशोधित करके सांस्कृतिक भू-दृश्य का सृजन करने वाला मानव भौगोलिक अध्ययन का केन्द्र बिन्दु है। मानव जनसंख्या गत्यात्मकता-जन्म, मृत्यु, प्रवास एवं जनसंख्या संरचना, सामजिक आर्थिक संरचना, एवं स्थानिक अभिव्यक्ति को किसी भी देश, प्रदेश व राष्ट्रीय अस्तित्व का दूसरा रूप कहा जा सकता है। समस्त आर्थिक, सामजिक एवं सांस्कृति क्रियायें मनुष्य द्वारा संचालित होती हैं। क्यों कि मानव जीवन के विभिन्न क्षेत्रों यथा जनसंख्या के विभिन्न आयाम, संस्कृत तथा सांस्कृतिक भूद्रश्य, सामजिक संरचना, राजनैतिक संगठन, आर्थिक नियोजन तथा विकास की दिशा व दशा मानव ही तय करता है। निरन्तर जनसंख्या वृद्वि के कारण मनुष्य की आवश्यकताओं में भी गुणात्मक वृद्धि होती गयी आरै वह इन आवश्यकताओं की पूर्ति हतेु प्रकृति-प्रदत्त संसाधनों का उपयागे करते आया है। निरंतर जनसंख्या वृद्धि ने मनुष्य को सोचने के लिए विवश किया, जिससे वह संसाधनों की रिक्तता के कारण या तो परिवार नियोजन जैसी योजनाओं पर ध्यान दिया या प्रवास के लिए बाध्य हुआ, जो गत्यात्मकता के मूल घटक है।