समकालीन कला में कला और कलाकार की स्थिति – एक अध्ययन | Original Article
दुनिया भर में कला एवं साहित्य को एक अलग ही स्थान दिया जाता है। आज पूरी दुनिया कला एवं साहित्य को बढ़ावा देने के लिए तरह-तरह के कार्यक्रमों का आयोजन कर रही है। ताकि बड़े पैमाने पर लोग इस क्षेत्र में रूचि लें। भारत में समकालीन कला को बढ़ावा देने का काम भारत सरकार द्वारा गठित ‘राष्ट्रीय ललित कला अकादमी’ का है। इस अकादमी की स्थापना स्वतंत्र भारत में 5 अगस्त 1954 को भारत सरकार द्वारा की गई। इसे नेशनल अकादमी ऑफ आर्ट्स के नाम से भी जाना जाता है। इसका मकसद मूर्तिकला, चित्रकला, ग्राफकला, गृहनिर्माणकला सम्बंधित कला क्षेत्र में काम करना है। साथ ही यह भारतीय कला के प्रति देश और विदेश में जागरूकता और रूचि बढ़ाने का काम करता है। अगर आप भारत में समकालीन कला की तलाश में हैं तो आपको एक बार अकादमी का दौरा जरुर करना चाहिए। यह भारत में कला केंद्र का केंद्रीय संगठन है। यह अकादमी कला को बढ़ावा देने के लिए प्रकाशनों, कार्यशालाओं तथा शिविरों का आयोजन करती है। यह हर वर्ष एक वार्षिक कार्यक्रम और हर तीन साल में त्रैवार्षिक कार्यक्रम का आयोजन करती है। हर अकादमी की तरह ललित कला अकादमी की भी एक कौंसिल है। इस कौंसिल में प्रमुख कलाकार, केंद्रीय सरकार और विभिन्न-राज्यों के प्रतिनिधि और कला क्षेत्र के प्रमुख व्यक्ति हैं। इस अकादमी के अलावा देश भर में कुल 12 राज्य अकादमियां है। जो भारत में कला केंद्र को देखती है। अकादमी ने देश भर में कलाकारों को पेंटिंग मृत्तिका शिल्प रेखाचित्र और मूर्तिकला का प्रशिक्षण देने के लिए नई दिल्ली और कलकत्ता में स्थाई स्टूडियो की स्थापना की है। इन केन्द्रों में व्यावहारिक प्रशिक्षण तथा कार्य की सुविधाएँ भी उपलब्ध कराई जाती है।