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सुभाषचंद्र बोस की मृत्यु का रहस्य: एक विहंगमावलोकन | Original Article

Linchon Kumar*, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

कहा जाता है कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत 1945 में ताइवान में हुए विमान हादसे में हो गई थी। लेकिन इस बात पर संदेह करने के कारण मौजूद हैं कि आखिर क्यों सुभाष चंद्र बोस की मौत का दावा आधुनिक भारत के सबसे बड़े रहस्यों में से एक है? उत्तर प्रदेश के फैजाबाद शहर के सिविल लाइन्स इलाके में स्थित ‘राम भवन’ के बारे में 16 सितंबर 1985 से पहले न के बराबर लोग ही जानते थे।[1] उस मकान में लंबे समय से साधु जैसे लगने वाले एक बुजुर्ग रहते थे जिनके बारे में स्थानीय निवासियों को कुछ खास जानकारी नहीं थी। जिस दिन उनकी मृत्यु हुई और अंतिम संस्कार के बाद उनके कमरे को खंगाला गया तो कई लोगों की आंखें खुली-की-खुली रह गईं। उनके कमरे से लोगों को कई ऐसी चीजें मिलीं जिनका ताल्लुक सीधे तौर पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़ता था। इनमें नेताजी की पारिवारिक तस्वीरों से लेकर आजाद हिंद फौज की वर्दी, जर्मन, जापानी तथा अंग्रेजी साहित्य की कई किताबें और नेताजी की मौत से जुड़े समाचार पत्रों की कतरनें शामिल थीं। इसके अलावा वहां से और भी कई ऐसे दस्तावेज बरामद हुए जिनके आधार पर एक बड़े वर्ग ने दावा किया कि वे कोई आम बुजुर्ग नहीं बल्कि खुद नेताजी सुभाष चंद्र बोस ही थे।[2] इस दावे को सही साबित नहीं किया जा सका बल्कि इसने नेताजी की गुमनामी की गुत्थी को एक बार फिर से कुछ और उलझा दिया। इससे पहले बहुत से लोग एक विमान हादसे को उनकी मृत्यु का कारण मानते थे तो कइयों को लगता था कि वे किसी बड़ी राजनीतिक साजिश का शिकार हुए हैं। कुल मिलाकर नेताजी को लेकर अब तक अलग-अलग तरह की इतनी सारी बातें सामने आ चुकी हैं, लेकिन उनके गायब होने का रहस्य आज भी जस का तस बना हुआ है।