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उपनिषदों में योग, महाभारत एवं श्रीमद्भगवद्गीता में योग | Original Article

Seema .*, Prakash Pandey, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

योग का विस्तृत स्वरूप उपनिषद् साहित्य में प्राप्त होता है। उपनिषद् काल में तप, उपवास, ब्रह्मचर्य पालन आदि क्रियाओं के द्वारा इन्द्रिय निग्रह पर बल दिया गया। परिणामस्वरूप पहले जो ‘योग’ (युज्-जोतना) शब्द घोडे़ के निग्रह के अर्थ में प्रयोग किया जाता था वह इन्द्रियनिग्रह के अर्थ में प्रयुक्त होने लगा।[1]