वर्तमान युग में गीता की सार्वभौमिकता | Original Article
वर्तमान युग में जब इंसान लोभ, द्वेष आदि की भावना से परिपूर्ण है। उस समय में श्रीमद्भगवद्गीता ही इंसान को सन्मार्ग तक पहुंचा सकती है। आज के युग में गीता ही हमें सुख - दुख, लाभ - हानि, जय - पराजय के समान रूप से रहने की शिक्षा देती है। जिस शाश्वत ग्रंथ से किसी संप्रदाय विशेष का संबंध न हो, बल्कि समस्त मानव जाति का उस पर समान अधिकार हो, तो उस महान ग्रंथ की सार्थकता का अंदाजा इसी बात से लग जाता है।