Article Details

हिन्दी साहित्य के आदिकाल में नाथ सम्प्रदाय का योगदान | Original Article

Meenu .*, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

नाथों की संख्या नौ मानी गई है। ‘शिव’ ही आदिनाथ हैं। नाथ सम्प्रदाय के प्रवर्तक मत्स्येन्द्रनाथ एवं गोरखनाथ माने गये हैं। नाथों का समय 12वीं से 14वीं शती तक है तथा हिन्दी संतकाव्य पर इनका पर्याप्त प्रभाव है। डॉ. पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल ने गोरखनाथ की रचनाओं का संकुलन गोरखबानी नाम से किया है। गोरखनाथ की रचनाओं में गुरू महिमा, इन्द्रिय निग्रह, प्राण साधना, वैराग्य, कुण्डलिनी जागरण एवं शून्य समाधि का वर्णन है। गोरखनाथ ने षट्चक्रों वाला योग मार्ग हिन्दी साहित्य में चलाया।