स्वामी विवेकानंद – एक सर्वमान्य व्यक्तिव | Original Article
स्वामी विवेकानंद के बचपन से ही कुछ क्रिया कलाप इस प्रकार से थे कि माता-पिता, बहन-भाई, स्कूल के विघार्थी-अध्यापक, तथा कक्षा के साथी विघार्थियों को कई प्रकार का समय पर आश्चर्य होता था, और किसी भी विचारशील प्राणी के लिए तथा अध्यात्मिक व्यक्ति के लिए बरबस से ही मुंह से अक्समात निकलता था कि ‘यह बच्चा विलक्षण है और पूर्व जन्म का उच्चकोटि का सन्यासी एंव विद्वान रहा है’। उनकी नट-खट बातों-तर्कशील बातों में कुछ अलग ही झलकता था। उनका व्यक्तित्व सार्वभौमिक भले ही बाद में लोगों को तथा सारे विश्व को देखने को मिला है परन्तु भारतीय दर्शन संस्कृति-धर्म पर कुछ प्रशनों एंव शंकाओं के साथ-साथ सदैव गौरव ही उनकी सारी चर्चाओं परिलक्षित होता रहा।