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स्वामी विवेकानंद दर्शन – आज की प्रासंगिकता | Original Article

Vivek Kumar*, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

स्वामी विवेकानन्द ने अपनी दाश्रनिक विचार धरा में मनुष्य की मुक्ति का उच्च आदर्श खोजा है। वे कहते हैं ‘‘एक परमाणु से लेकर मनुष्य तक, जड़ तत्व के अचेतन प्राणहीन कण से लेकर मनुष्य इस पृथ्वी की सर्वोच्च सत्ता मानवात्मा तक जो कुछ हम इस विश्व में प्रत्यक्ष करते हैं, वे सब मुक्ति के लिये, संघर्ष कर रहें हैं। यह समग्र विश्व मुक्ति के लिए संघर्ष का ही परिणाम है। हर मिश्रण में प्रत्येक अणु दूसरे परमाणुओं से पृथम होकर अपने स्वतन्त्रा पथ पर जाने की चेष्टा कर रहा है, पर दूसरे उसे आब करके रखै हुए हैं। हमारी पृथ्वी सूर्य से दूर भागने की चेष्टा कर रही है तथा चन्द्रमा पृथ्वी से। प्रत्येक वस्तु में अनन्त विस्तार की प्रवृति है। विश्व में जो कुछ देखतें है, उस सबका मूल आधार मुक्ति लाभ के लिए यह संघर्ष ही है। वे कहते हैं ‘‘चेतना तथा अचेतन समस्त प्रकृति का लक्ष्य यह मुक्ति ही है, और जाने या अनजाने सारा जगत इसी लक्ष्य की ओर पहुँचने का यत्न कर रहा है।’’