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मध्यकालीन भारत में धर्म | Original Article

Nirmala .*, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

भारत शुरू से ही एक विविध धर्मों वाला देश रहा है। जिसकी विशेषता उसकी विभिन्न धार्मिक प्रथाएं और विश्वास हैं। भारत के पूर्ण इतिहास के दौरान धर्म का यहाँ की संस्कृति में एक महत्वपूर्ण स्थान रहा है। सभी धर्मो के प्रति हिन्दू धर्म का अतिथ्यभाव रहा है। इसी कारण भारत में समय - समय पर आए व्यापारियों, यात्रियों और यहाँ तक कि आक्रमणकारियों और विजेताओं द्वारा लाए गए धर्मो को भी आत्मसात कर लिया गया। मध्यकाल में भारत में विभिन्न धर्मों जैसे हिन्दू धर्म, इस्लाम धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म, सिक्ख धर्म, ईसाई धर्म व पारसी धर्म विद्यमान थे। इनमें से कुछ का विकास चरम पर था तो कुछ अल्पमात्रा में मौजूद थे। मध्यकाल में भक्ति आंदोलन व सूफी आंदोलन ने इन विभिन्न धर्मों के मतभेदों को खत्म करके धार्मिक सहिष्णुता व समन्वय लाने का महत्वपूर्ण कार्य किया। इससे सामाजिक समानता के साथ - साथ राष्ट्रीय एकता के प्रयास शुरू हुए।