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संवेदना की कसौटी पर समकालीन हिन्दी कविता | Original Article

Reena Saroha*, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

समकालीन कविता आधुनिक हिन्दी कविता के विकास में वर्तमान काव्यान्दोलन है। ऐतिहासिक दृष्टि से देखा जाए तो, नयी कविता के बाद उनके काव्यान्दोलनों का प्रचलन हुआ। डॉ. हुकुमचंद राजपाल के अनुसार समकालीन कविता का प्रारंभ सन् 1964 के बाद माना जा सकता है। साठोत्तरी कविता और समकालीन कविता को पर्याय मानना उचित नहीं है। समकालीन कविता, आधुनिक कविता के विकास में नयी चेतना, नयी भाव-भूमि, नयी संवेदना तथा नये शिल्प के बदलाव की सूचक काव्यधारा है। समकालीनता बोध युग-बोध की पहचान का महत्त्वपूर्ण आधार है।[1]