आधुनिक जीवन शैली में योग का महत्तव | Original Article
योगशास्त्र के इतिहास में कपिल के बाद पतंजलि का ही आविर्भाव प्रमाणिक रूप से महत्वपूर्ण माना जा सकता है। क्योंकि इन दोनों के बीच कतिपय योगियों के नाम के अतिरिक्त कोई कृति अथवा उपदेश प्राप्त नहीं होता है। यद्यपि जैगिषव्य, नारद, देवल, असित आदि योगियों का नाम लिया गया है लेकिन महर्षि पतंजलि के समान कोई प्रमाणित कार्य स्पष्टतया दृष्टि नहीं होता है, गीता की यदि बात करें तो उसमें योग की व्याख्या, विवेचना और स्थापना न होकर योग को एक व्यापक बहुमुखी स्तर प्रदान किया गया है। निष्कर्ष रूप में यह कहा जा सकता है कि वर्तमान समय में महर्षि पतंजलि द्वारा प्रणीत ‘योगसूत्र’ ही योग के क्षेत्र में प्रमुख स्थान रखता है।