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अच्छे जीवन यापन के लिए “नैतिक शिक्षा” | Original Article

Kirti Garg*, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

शिक्षा हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण पहलू है। शिक्षा के बिना एक अच्छे जीवन की कल्पना करना कठिन लगता है। शिक्षा के द्वारा ही हम अपना बौद्धिक और चारित्रिक निर्माण कर सकते हैं। शिक्षा के अन्तर्गत् नैतिक शिक्षा का होना अत्यन्त आवश्यक है। नैतिक शिक्षा स्वयं की, समाज की और राष्ट्र की उन्नति के लिए परम आवश्यक है। नैतिक शिक्षा या इसे हम सांस्कारिक शिक्षा कह कर भी पुकार सकते हैं। नैतिक शिक्षा एक बालक के अन्दर वे सब गुण अथवा संस्कार डाल सकती हैं जो उसके रहन-सहन, उसके भविष्य एवं समाज के लिए अत्यन्त लाभदायक सिद्ध होते हैं। जन्म लेने के बाद से ही बच्चा माँ के सम्पर्क में अधिक रहता है और उसे पहली शिक्षा भी माँ से ही मिलनी प्रारम्भ होती है। शिशु शैशवकाल को पार कर बाल्यवस्था में और फिर किशोरावस्था में आता है तब उसमें बोलने और बातों को सोचने और समझने की शक्ति बढ़ जाती है। इस अवस्था में बच्चे को और अधिक अच्छे आचरण, नैतिक मूल्यों या सुसंस्कारों की शिक्षा आवश्यक हो जाती है। आज हर कोई ज़्यादा पाने की लालसा में भाग रहा है। ये भागादौड़ी ही कारण है कि आज का हमारा युवा संस्कारों से या यूँ कहें कि नैतिकता से पिछड़ता जा रहा है। सांस्कारिक अथवा नैतिक शिक्षा का मुख्य उदेश्य एक बालक या युवा के व्यक्तित्व का हर तरह से विकास करना है। इसलिए नैतिक शिक्षा का होना आज के समय में अत्यन्त आवश्यक है।