“अनुसूचित जाति की महिलाओं की सामाजिक स्थिति का समाजशास्त्रीय अध्ययन” (बालोद जिले के गुण्डरदेही विकासखंड के विशेष संदर्भ में) | Original Article
प्रस्तुत शोधपत्र में गुण्डरदेही विकासखंड के अनुसूचित जाति महिलाओं की सामाजिक स्थिति का समाजशास्त्रीय अध्ययन किया गया है। यह विडंबना ही है कि अस्पृश्यता जैसी कुप्रथा हमारे समाज में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से विद्यमान है जो जाति व्यवस्था का सबसे अधिक क्रुर तत्व है। बहुत से लागे इसे नस्लवाद की एक सुदृढ़ प्रवृति मानते है। वर्तमान समय में भी अनुसूचित जाति संबंधी धारणाएं ज्यों की त्यों बनी हुई है, विभिन्न संवैधानिक व्यवस्थाओं के होते हुए भी इनकी सामाजिक स्थिति में सुधार आशाओं के अनुरूप परिलक्षित नही हुए है। वास्तविकता यही है कि इतनी बड़ी संख्या में होने के बावजूद भी अनुसूचित जाति आज भी देश में अपेक्षित हैं।