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रामकृष्णपरमहंसदिव्यचरितम् में खुदीराम का चरित्र एकविवेचन | Original Article

संध्या .*, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

साहित्य की रचना करने वाला साहित्यकार किसी भी कृति का निर्माण करते समय केवल कल्पना या तथ्यों का आश्रय नहीं लेता अपितु कहीं न कहीं उस कृति में उसके स्वयं के व्यक्तित्व का भी समावेश होता है अपने विचारों और भावों को प्रकट करने के लिए वह जिन स्तम्भों का आश्रय लेता है उसे पात्र कहा जाता है लेखक की कृति में कथानक के पश्चात् प्रमुख तत्त्व पात्र ही होता है