विभाजन के केन्द्र में तमस | Original Article
साम्प्रदायिक तनाव और हिंसा की त्रासदी से पूर्ण तमस दूसरा महत्वपूर्ण उपन्यास है, जिसमें पृष्ठभूमि के रूप में भी घटनाओं के रूप में भी भारत विभाजन के संदर्भ में व्यापक प्रतिक्रिया व्यक्त की गई है। इस उपन्यास के लेखक भीष्म साहनी हैं। झरोखे और कड़िया जैसे परस्पर विरोधी आयामी उपन्यासों के बाद ‘‘तमस’’ का आना भीष्म साहनी की एक और सृजनात्मक उपलब्धि है। तमस उपन्यास के सृजन के केन्द्र में भीष्म साहनी की बहुचर्चित कहानी ‘अमृतसर आ गया’ (प्रकाशन 1971-72) है। जो सम्पूर्ण सांस्कृतिक हादसे में से अध्येताओं को गुजारती है। साम्प्रदायिक राजनीति के क्रुर प्रसंगों में भय और संत्रास से परिचित कराती है। मानवीय संबंधों और मूल्यों के विघटन पर प्रश्न चिन्ह लगाती है। ‘अमृतसर आ गया’ कहानी अपने कलात्मक संयम वैचारिक निष्पक्षता तथा खुलेपन के कारण प्रशंसा का विषय बनी।