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आतंकवादः एक वैश्विक समस्या | Original Article

Mamta Rani*, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

संयुक्त राष्ट्र संघ ने आज तक आतंकवाद को परिभाषित नहीं किया है। वर्तमान समय में आतंकवाद एक राष्ट्र व राज्य के दायरे तक ही सीमित नहीं है बल्कि यह अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा का वैश्विक खतरा बन चुका है। विश्व की शांति एवं सुरक्षा के लिए गैर-राष्ट्रीय कर्ता देश बहुत बड़ी चुनौती बन चुके हैं, लेकिन आज तक संयुक्त राष्ट्र संघ के द्वारा आतंकवाद पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है। सुरक्षा परिषद के द्वारा आतंकवाद के विरुद्ध निर्णय लेने का कारण कुछ देशों के द्वारा इस समस्या पर असहमति प्रकट की गई है। आतंकवाद को नियंत्रित करने के लिए किसी भी प्रकार के अंतर्राष्ट्रीय कानून का निर्माण नहीं किया गया है। वर्तमान समय में कुछ पड़ोसी देश ऐसे हैं जो सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे हैं। आतंकवाद के अनेक कारण माने जाते हैं, जैसे- आर्थिक, सांस्कृतिक, धार्मिक कारण आदि। वैश्विक आतंकवाद के प्रभावी होने के दो प्रमुख कारण रहे हैं। पहला कारण अमेरिका की ‘पश्चिमी एशिया नीति’ के कारण और ‘इजराइल को समर्थन’ देने से आतंकवाद प्रभावी हुआ है। दूसरा कारण वर्ष 1979 कि ईरान की इस्लामी क्रांति के बाद आतंकवाद प्रभावी हुआ है। शीत युद्ध के समय बड़ी-बड़ी महाशक्तियोंने आतंकवाद का प्रयोग विदेश नीति के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए किया था। 11 सितंबर, 2001 तथा 13 दिसंबर, 2001 को किए गए आतंकवादी हमलों से भी आतंकवाद को बढ़ावा मिला है। भारत के मुंबई में ताज होटल पर 26 नवंबर, 2008 को किए गए हमले से आतंकवादी गतिविधियों को बल मिला है। वर्तमान समय में पाकिस्तान के द्वारा किए गए भारत के बालाकोट क्षेत्र में आतंकवादी हमले ने पूरे विश्व को हिलाकर रख दिया है। आतंकवाद का यह मुद्दा भारत के प्रधानमंत्री ‘नरेंद्र मोदी’ जी ने संयुक्त राष्ट्र संघ में उठाया है। संयुक्त राष्ट्र संघ के अधिवेशन के समय पर उपस्थिति पाई महाशक्तियों ने आतंकवाद के इस मुद्दे का स्वागत किया है। भविष्य में आतंकवाद को जड़ से समाप्त करने पर सहयोग किया गया है। पांच महाशक्तियों की सहमति के बाद 1 मई, 2019 को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के द्वारा पाकिस्तानी चरमपंथी एवं जैश-ए-मोहम्मद के संस्थापक मोहम्मद मसूद अजहर अल्वी’ को वैश्विक आतंकवादी घोषित किया गया है। इस प्रकार से आतंकवाद की समस्या एक देश व राज्य की समस्या न होकर समस्त विश्व की एक भयंकर चुनौती बन गई है।