डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का शिक्षा और समाज से गहरा संबंध | Original Article
शिक्षा और समाज का गहरा संबंध होता है। दोनों ही एक दूसरे पर आश्रित होते है। किसी भी समाज के उत्थान हेतु शिक्षा जैसे सक्रिय एवं सचेष्ट प्रयास की आवश्यकता होती है। शिक्षा स्वयं महान मनीषियों एवं विचारकों के चिन्तन रूपी पुष्प की परिणति हैं। स्पष्टतया समाज की दिशा में शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। विश्व की संस्कृतियों में भारत उद्भूत सस्कृति महत्वपूर्ण रही है। यहां के मनीषी और विचारक सम्पूर्ण धरा को एकसूत्र में बांधने तथा कल्याण के मार्ग पर प्रशस्त करने में चैतन्य रहे है। भारत के कुंजो से संपूर्ण वसुधा के प्राणियों के सुख और रूग्णहीन रहते हुए दूसरों के सुख-दुख में सहभागी होने की कामना की गयी हैं। पूर्व से उत्पन्न ज्ञान के इस आलोक से सम्पूर्ण पश्चिम को वैचारिक दृष्टि मिली। प्राचीनकाल, मध्य काल ब्रिटिश काल तथा उत्तर काल में भी मेघा ने ऐसे ही पताका विश्व में फहराते हुए भारतीय विचारकों और चिन्तकों को अनूठा स्थान प्रदान किया। भारतीय चिन्तन व्योम में ऐसे नक्षत्र रहे है, जो वैचारिक भूमंडल को सचेष्ट सक्रिय और जीवन्त बनाते रहे है। ऐसे में ही विवेकानन्द, रामकृष्ण परमहस गांधी, अरविंद आदि के अतिरिक्त अनेक समाज सुधारकों के नाम स्वर्णाक्षरों के उल्लेख है।