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उन्नत भारत के निर्माण में महात्मा गाँधी की विचारधारा और कार्यो का मूल्यांकन | Original Article

Anil Kumar*, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

महात्मा गांधी को “महात्मा” उनके महान कार्यो और महानता के लिए कहा जाता है जो की उन्होंने जीवन भर किया। वह एक महान स्वतंत्रता सेनानी और अहिंसक कार्यकर्ता थे और अपने पुरे जीवन काल में जब वे ब्रिटिश शासन से भारत की आजादी के लिए अग्रणी थे, अहिंसा का पालन किया। भारतीय समाज से छुआछूत को हटाने के लिए, भारत में पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए, सामाजिक विकास के लिए गांवों का विकास करने के लिए आवाज उठाई, भारतीय लोगों को स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग करने के लिए प्रेरित किया और अन्य सामाजिक मुद्दों के लिए कठिन प्रयास किये। उन्होंने आम लोगों को राष्ट्रीय आंदोलन में भाग लेने के लिए सामने लाया और उनकी सच्ची स्वतंत्रता के लिए लड़ने के लिए उन्हें प्रेरित किया। सबसे पहले गान्धी ने दक्षिण अफ्रीका में भारतीय समुदाय के लोगों के नागरिक अधिकारों के लिये संघर्ष हेतु रोजगार करना शुरू किया। 1915 में उनकी भारत वापसी हुई। उसके बाद उन्होंने यहाँ के किसानों, मजदूरों और शहरी श्रमिकों को अत्यधिक भूमि कर और भेदभाव के विरुद्ध आवाज उठाने के लिये एकजुट किया। 1921 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बागडोर संभालने के बाद उन्होंने देशभर में गरीबी से राहत दिलाने, महिलाओं के अधिकारों का विस्तार, धार्मिक एवं जातीय एकता का निर्माण व आत्मनिर्भरता के लिये अस्पृश्यता के विरोध में अनेकों कार्यक्रम चलाये। इन सबमें विदेशी राज से मुक्ति दिलाने वाला स्वराज की प्राप्ति वाला कार्यक्रम ही प्रमुख था। गाँधी जी ने ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीयों पर लगाये गये नमक कर के विरोध में 1930 में नमक सत्याग्रह और इसके बाद 1942 में अंग्रेजो भारत छोड़ो आन्दोलन से खासी प्रसिद्धि प्राप्त की। इस शोध-पत्र में उन्नत भारत के निर्माण में महात्मा गाँधी की विचारधारा और कार्यो का मूल्यांकन किया गया है।