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पूर्व बाल्यावस्था में पोषण का महत्व: एक अवलोकन | Original Article

Kumari Madhavi*, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

पूर्व बाल्यावस्था में पोषण की कमी बालकों के स्वास्थ्य एवं सर्वांगीण विकास को अवरूद्ध कर देता है। सामान्यतया 2 से 5 वर्ष तक की अवस्था पूर्व बाल्यावस्था की होती है और यह सर्वविदित है कि बालकों के शारीरिक, मानसिक, संवेगात्मक और बौद्धिक विकास की दृष्टि से यह सर्वाधिक महत्वपूर्ण होती है इसलिए उनके सर्वोत्तम विकास और उनकी संपूर्ण संवृद्धि मुख्य रूप से पोषण की गुणवत्ता, महत्ता और समुचित मात्रा में उपलब्धता पर निर्भर करती है। अतएव पूर्व बाल्यावस्था में बालकों के माता-पिता, संरक्षक अथवा परिवार के सदस्यों के लिए यह नितांत आवश्यक हो जाता है कि वे उनके निमित्त पोषण के पर्याप्त महत्वों पर संवेदनशील रहें। अतएव इस शोध आलेख में 2 से 5 वर्ष तक के बच्चों में पोषण की प्रास्थिति और विभिन्न आयामों से उसके महत्वो का तथ्यात्मक अवलोकन किया जायेगा ताकि पौष्टिक तत्वों से युक्त संतुलित भोजन की उपलब्धता से संबंधित एक आयाम सुनिश्चित किया जा सके और जिससे पूर्व बाल्यावस्था में बच्चों का समग्र रूप से यथोचित विकास भी हो सके। साथ ही पूर्व बाल्यावस्था में पोषण के महत्वों का वर्णन किया जायेगा जिसमें स्वस्थ्य भोज्य आदतों से संपूर्ण शरीर पर पड़ने वाले प्रभावों का भी अध्ययन किया जायेगा।