छत्तीसगढ़ के ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि की उपलब्धता एवं श्रम प्रवास | Original Article
प्रस्तुत अध्ययन छत्तीसगढ़ के ग्रामीणों क्षेत्रों में भूमि की उपलब्धता एवं श्रम प्रवास पर आधारित है भारत कृषि प्रधान देश है प्राचीन काल से मनुष्य भ्रमणशील प्राणी रहा है वह भूमि और साधनों की खोज हेतु तथा सुखद जीवन की आशा लिये हुए एक स्थान से दूसरे स्थान जाता है इस प्रकार एक स्थान से दूसरे स्थान प्रवास करने का इतिहास प्राचीन व विश्वव्यापी रहा हैं। छत्तीसगढ़ राज्य में भी ग्रामीण क्षेत्र में निवासरत कृषक वर्ग जिनके पास स्वयं भूमि नहीं है तथा बहुत कम एकड खेत होने के कारण ग्रामीण कृषकों को वर्षभर रोजगार अपने निवासस्थान पर उपलब्ध नहीं हो पाता है जिसके कारण अपने परिवार के जीवकोपार्जन हेतु उन्हें अपने मूल स्थान को छोड़कर जहाँ रोजगार मिले वहाँ जाना पड़ता है। श्रम प्रवास करना पड़ता है। प्रस्तुत शोध के लिए स्तरीकृत देव निदर्शन पद्धति के द्वारा बेमेतरा विकासखण्ड के कन्तेली गाँव के 87 उत्तरदाताओं का चयन किया गया है प्राप्त तथ्य के विश्लेषण से यह निष्कर्ष प्राप्त हुआ है कि ग्रामीण क्षेत्रों के अधिकांश उत्तरदाताओं के कृषि भूमि कम उपलब्धता एवं उपलब्ध भूमि सिंचित नहीं होने के कारण परिवार के जीवकोपार्जन हेतु श्रम प्रवास करना पड़ता है। जिसके कारण उनके सामाजिक जीवन पर विपरित प्रभाव पड़ता है परिवार में बिखराव व तनाव की स्थिति निर्मित होती है।