हरियाणा के पंचायती राज में 73वें संवैधानिक संशोधन के बाद रेवाड़ी जिले में आरक्षण के पश्चात् अनुसूचित जाति की महिलाओं के मार्ग में आने वाली भावी चुनौतियों का अध्ययन | Original Article
जिला रेवाड़ी में उतरदाता 100 अनुसूचित जाति की महिला सदस्यों में से 55.00 महिलाएं माध्यमिक से कम, 11.00 महिलाएं माध्यमिक, 14.00 महिलाएं उच्च माध्यमिक, 12.00 महिलाएं स्नातक तथा 8.00 महिलाएं स्नातकोतर स्तर कि शैक्षिक योग्यता है। महिला सदस्यों के परिवार के आय के साधनों में से 2.00 महिलाएं पारिवारिक गैर सरकारी नौकरी, 8.00 महिलाएं पारिवारिक सरकारी नौकरी, 30.00 महिलाएं कृषि, 41.00 महिलाएं मजदूरी, 18.00 महिलाएं पशु-पालन आदि आय के साधन है। उतरदाता महिला सदस्यों की बहु-दोहरी जिम्मेदारी जैसे परिवार की देख-रेख करना (78.00 महिलाएं सहमत तथा 22.00 महिलाएं असहमत), पंचायती राज के विभिन्न स्तरों में भाग लेना (19.00 महिलाएं सहमत तथा 81.00 महिलाएं असहमत), मजदूरी करना (84.00 महिलाएं सहमत तथा 16.00 महिलाएं असहमत), कृषि को संभालना (13.00 महिलाएं सहमत तथा 97.00 महिलाएं असहमत), नौकरी पर जाना (6.00 महिलाएं सहमत तथा 94.00 महिलाएं असहमत) थी। उतरदाता महिला सदस्यों में से 54.00 महिलाएं बहुत ज्यादा, 18.00 महिलाएं ज्यादा, 18.00 महिलाएं कम, 10.00 महिलाएं बहुत कम तथा 10.00 महिलाएं सामान्य सहमत थी। पंचायती कार्यालयों तथा स्थानिय लोगों द्वारा ग्राम पंचायती महिला सदस्य की तुलना में उनके पति के प्रतिनिधीत्व को ज्यादा अहमियत देने के अनुसार 31.00 महिलाएं बहुत ज्यादा, 32.00 महिलाएं ज्यादा, 17.00 महिलाएं कम, 16.00 महिलाएं बहुत कम तथा 4.00 महिलाएं सामान्य सहमत थी। पंचायती महिला सदस्य द्वारा सरकारी जरूरतों और अपेक्षाओं के प्रति अभाव के विचारों के अनुसार सरकारी जरूरतों और अपेक्षाओं के प्रति विचार जैसे निधी का समय पर नहीं पंहुचना (14.00 महिलाएं सहमत तथा 86.00 महिलाएं असहमत), निधी कि कमी (92.00 महिलाएं सहमत तथा 8.00 महिलाएं असहमत), निधी में सरकारी अधिकारियों की हस्तपेक्ष (91.00 महिलाएं सहमत तथा 9.00 महिलाएं असहमत), निधी का सही प्रयोग नहीं होना (84.00 महिलाएं सहमत तथा 16.00 महिलाएं असहमत) तथा निधी का माध्यम सही नहीं (14.00 महिलाएं सहमत तथा 86.00 महिलाएं असहमत) आदि का निरिक्षण हुआ। पंचायती महिला सदस्य द्वारा चुनाव सदस्य भागीदारी योजना अभाव में 51.00 महिलाएं सहमत तथा 49.00 महिलाएं सहमत नहीं थी। पंचायत द्वारा सदस्य के रूप में शामिल करने का भी अध्ययन के अनुसार पंचायतों में 21.00 महिलाएं परिवार, 24.00 महिलाएं दोस्त, 20.00 महिलाएं समाज, 3.00 महिलाएं शिक्षक, 8.00 महिलाएं संस्था के कार्य, 4.00 महिलाएं संगठन तथा 20.00 महिलाएं गाँव के सदस्य के रूप में शामिल की जाती है। पंचायतों में महिलाओं के प्रति सरकार की भूमिका का अभाव के अनुसार पंचायतों में सरकार के कार्यों विभिन्न प्रकार की कमियाँ जैसे रोजगार की कमी (41.00 महिलाएं), शिक्षा की कमी (14.00 महिलाएं), स्वस्थ्य योजनाओं की कमी (15.00 महिलाएं), समूह विचार-विमर्श की कमी (4.00 महिलाएं), पंचायती कार्यों का अभाव (12.00 महिलाएं), महिलाओं के प्रति योजनाओं का अभाव (5.00 महिलाएं) तथा महिलाओं का समान अधिकार का अभाव (4.00 महिलाएं) आदि है जिसके कारण आरक्षण मिलने के पश्चात् भी महिलाएं पंचायती राज में आगे नहीं बढ़ सकती। अप स्टैण्डर्ड प्रशासन के कारण निर्वाचित महिला सदस्य की पंचायती राज में स्थिति के अन्दर आरक्षण के मिलने के पश्चात् भी महिलाएं पंचायतों में आगे नहीं बढ़ सकती क्योंकि अप स्टैण्डर्ड प्रशासन की जरुरत और अपेक्षा जैसे कम कार्यान्वयन (77.00 महिलाएं), सरकार का अप्रतिकुल रवैया (61.00 महिलाएं), राजनीतिक पार्टियों का अप्रतिकुल रवैया (29.00 महिलाएं), राजनीतिक पार्टियों में सरकार की अनिच्छा (48.00 महिलाएं), सरकारी अधिकारियों द्वारा अपक्षपातपूर्ण (33.00 महिलाएं), महिलाओं के बिच एकता का अभाव (52.00 महिलाएं), महिलाओं का उदास रवैया (79.00 महिलाएं), सरकारी कार्यों में महिलाओं की सहमती (14.00 महिलाएं), सरकारी कार्यों में महिलाओं की बराबर की भागीदारी (13.00 महिलाएं) तथा महिला कल्याणकारी योजना (6.00 महिलाएं) आदि के प्रति ही महिलाएं सहमत है। जिला रेवाड़ी के पंचायत सदस्य द्वारा पंचायती कार्यों की जानकारी स्थानीय लोगों को देने के माध्यम का भी अध्ययन किया गया जो कि एक महत्वपूर्ण कारण है जिसकी वजह से आरक्षण के मिलने के पश्चात् भी महिलाएं पंचायतों में आगे नहीं बढ़ सकती जिला रेवाड़ी में उतरदाता 100 महिला सदस्यों के अनुसार विभिन्न प्रकार के माध्यम जैसे अकेले से मुलाकात करके (27.00 महिलाएं), समूह से मुलाकात करके (21.00 महिलाएं), ज्ञान देने के लिए निष्क्रिय भूमिका का अभाव (34.00 महिलाएं), संचार के माध्यम (26.00 महिलाएं) से तथा कोई माध्यम नहीं (14.00 महिलाएं) आदि कारणों से महिलाएं सहमत है। जिला रेवाड़ी के महिलाओं के प्रति सामाजिक नजरिया में आरक्षण के मिलने के पश्चात् भी महिलाएं पंचायतों में आगे नहीं बढ़ सकती। जिला रेवाड़ी में उतरदाता 100 महिला सदस्यों के अनुसार महिलाओं के प्रति सामाजिक नजरिया जैसे पुरुषों के समान अधिकार नहीं देना (32.00 महिलाओं के अनुसार), घरेलु महिला के रूप में देखना (28.00 महिलाओं के अनुसार), पंचायतों में पुरुष प्रधानता (10.00 महिलाओं के अनुसार), महिलाओं को राजनीति में नहीं जाने देना (18.00 महिलाओं के अनुसार), महिलाओं को घरेलु दायरे में रखना (8.00 महिलाओं के अनुसार) तथा महिलाओं को शिक्षा संस्थानों में नहीं जाने देना (4.00 महिलाओं के अनुसार) आदि है जिसकी वजह से आरक्षण के मिलने के बाद भी महिलाएं पंचायतों में आगे नहीं बढ़ सकती।