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सामाजिक संदर्भों में डॉ. भीमराव अम्बेडकर एवं भारतीय ‘संविधान-र्निमाण’ एक अध्ययन | Original Article

Okendra .*, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

भारतीय संविधान तत्वों और मूल भावना के सम्बन्ध में अद्वितीय है। हालांकि इसके कई तत्व विश्व के विभिन्न संविधानों से उधार लिये गये हैं भारतीय संविधान के कई ऐसे तत्व हैं, जो उसे विभिन्न देशों के संविधानों से अलग महत्व प्रदान करते हैं। यह बात ध्यान देने योग्य है सन् 1949-50 में अपनाए गए संविधान के अने क वास्तविक लक्षणों में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं। अतः किसी देश अथवा राज्य का संविधान उन नियमों एवं कानूनों का संकलन है जिनके आधार पर उस देश अथवा राज्य की सरकार के संगठन एवं उसके कार्यों, सरकार के विविध अंगों पारस्परिक सम्बन्धों, समस्त नागरिकों के नागरिक अधिकारों एवं कत्र्तव्यों तथा उस देश के विभिन्न राज्यों के साथ उनके सम्बन्धों को सुनिश्चित किया जा सकता है।