आदिवासी बालिकाओं की शैक्षिक स्थिति का तुलनात्मक अध्ययन: झारखण्ड के सन्दर्भ में | Original Article
शिक्षा मानव की एक ऐसी मूलभूत आवश्यकता हैं जो उसके बौद्धिक विकास, समाज के, गाँव के, जिले के, प्रदेश के और देश के आर्थिक, राजनैतिक, सामाजिक एवं औद्योगिक विकास में सहायक होती है शायद इसलिए यह कहा जाता हैं कि शिक्षावर्तमान और भविष्य के लिए अद्भुत निवेश के लॉक का मत हैं – ‘पौधों का विकास कृषि द्वारा एवं मनुष्य का विकास शिक्षा द्वारा होता है” बालक जन्म के समय असहाय एवं अबोध होता है। अरस्तु के अनुसार -मनुष्य एक सामाजिक प्राणी हैं, शिक्षा के आभाव में मानव जीवन की कल्पना करना असम्भव है।