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मानवीय हृदय की पीड़ा का दस्तावेज़: आधा गाँव | Original Article

Pardeep Kumar*, Gyani Devi Gupta, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

भारत का विभाजन, इस विभाजन का एक कारण साम्प्रदायिकता, हिन्दुओं और मुसलमानों का आपसी द्वेष, धर्म पर राजनीति, राजनीति का असर सभ्यता संस्कृति का हनन, पैदा हुए उन्माद के कारण साम्प्रदायिकता को तीव्र गति से बढ़ावा मिलने लगा, ’द्विराष्ट्रवादी-सिद्धान्त’ की पेशकश, अंग्रेज़ों द्वारा मुसलमानों का पक्षधर बनना ’आधा गाँव’ उपन्यास के माध्यम द्वारा राही मासूम रज़ा का एक प्रामाणिक साहित्यिक दस्तावेज़ लोगों तक पहुँचाना, गंगौली गाँव में शिया और सुन्नी मुसलमानों के साथ अन्य धर्म के लोगों के जीवन की झलक का मिलना, धर्म के नाम पर साम्प्रदायिकता का नंगा नाच होना, अमानवीय व्यवहार का प्रदर्शन, लोगों की धार्मिक आस्था पर प्रहार, द्वन्द्वात्मक परिप्रेक्ष्य का राजनीति और समाज पर सीधा असर, मुस्लिम लीग के झूठे वायदों पर आधारित द्विराष्ट्रवादी-नीति, मुसलमानों का जन्नत के लिए, मुस्लिम लीग को वोट देना। भारत का विभाजन, पूर्वीं और पश्चिमी पाकिस्तान का निर्माण, आतंक, अनीति और संत्रास भरा माहौल, मार-काट के पश्चात् बिछड़ों को खोजने की पीड़ा, खण्डित होते रीति-रिवाज, शोषण कर भ्रष्टाचार को बढा़वा देना, संवेदनशीलता का अन्त, कुछेक भारतीय मुसलमानों का भारत से पलायन न करने का फैसला, मुसलमानों की विस्थापन की समस्या, विस्थापित मुसलमानों की मनोदशा, जन्नत प्राप्त न होने पर, मोहभंग की स्थिति, पीड़ित अवस्था में भारत में रहने का निर्णय, साम्प्रदायिकता के खिलाफ राष्ट्रीयता का पैगाम, कारुणिक घटनाओं का ब्यौरा पेश करते, मानवीय हृदय की पीड़ा का विवेचन कर लोगों की आँखों को खोलना ही इस शोध-पत्र का मुख्य प्रयोजन हैं।