हिन्दी चित्रपट संगीत में पार्शवगायन का उद्भव और विकास | Original Article
चित्रपट पार्शवगायन परम्परा विशुद्ध रूप से बीसवीं शताब्दी की देन है। पार्शव संगीत का उद्देश्य किसी घटना एवं स्थिति को स्वर-सज्जा के माध्यम से अभिव्यक्त करना है। यह संगीतकार की कल्पना शक्ति पर निर्भर करता है कि वह इस अभिव्यक्ति को अधिक प्रभावी बनाने के लिए किस प्रकार का पार्शव संगीत रचता है।