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ब्रिटिश शासन का भारतीय कृषि पर प्रभाव | Original Article

Sushma Devi*, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

प्रारम्भ में ईस्ट इण्डिया कम्पनी एक व्यापारिक कम्पनी थी। धीरे-धीरे कम्पनी ने अपनी जड़ों को मजबूत बनाया तथा भारत को अपना उपनिवेश बना दिया। भारत में ब्रिटिश उपनिवेशवाद की नींव 1757 के प्लासी के युद्ध के बाद पड़ी, जिसका मुख्य उद्देश्य उन साधनों को अपने कब्जे में लेना था जिससे प्राप्त माल इंग्लैण्ड तथा अन्य यूरोपीय देशों में सरलता से बेचा जा सके। प्लासी के युद्ध से पूर्व जहाँ ब्रिटेन को भारत से वस्तुओं को युद्ध के बाद ब्रिटेन को भुगतान के लिए सोने चांदी की आवश्यकता नहीं रही, अब वह भुगतान यहीं ये वसूले गए धन से करता था। उपनिवेशवाद के इस चरण में बंगाल व अन्य प्रांतों से वसूले गए भू-राजस्व के बचे हुए हिस्से से भारतीय माल को खरीदा जाता था और उसे अन्य देशों को अच्छी कीमत पर निर्यात किया जाता था। इस तरह प्रतिवर्ष भारतीय माल और सम्पत्ति का दोहन होता रहा। परिणामस्वरूप इंग्लैण्ड अधिक अमीर और भारत अधिक गरीब होता गया। औपनिवेशक काल से पूर्व भारतीय अर्थव्यवस्था कृषिजन्य व्यवस्था थी लेकिन अंग्रेजों ने यहां के परम्परागत कृषि ढांचे को नष्ट कर दिया और अपने फायदे के लिए भू-राजस्व निर्धारण और संग्रहण के नए तरीके लागू किए।