केदारनाथ सिंह की कविताओं में ग्रामीण चेतना | Original Article
प्रारम्भ से ही मुझे हिन्दी के प्रति बहुत लगाव था। दिल में अरमान था कि हिन्दी साहित्य का अध्ययन करूं। बी.ए. में हिन्दी साहित्य का अध्ययन करते हुए पाठ्यक्रम में निर्धारित कतिपय रचनाओं के बहाने केदारनाथ सिंह की ‘नदी’ तथा ‘बैल’ कविता पढ़ने को मिलि। इन रचनाओं को पढ़कर केदारनाथ सिंह की प्रगतिशीलता तथा गाँव के प्रति लगाव आदि सम्वेदनाओं का ज्ञान हुआ। आगे एम.ए. में भी उनकी इस कविता ने उसके वर्तमान जीवन की त्रासदी, अभाव और विषमतापूर्ण स्थितियों के कारण अपनी ओर आकर्षित किया। इस दौरान उनकी प्रसिध्द रचना श्अकाल में सारसश् पढ़ने में आई इस काव्य संग्रह की कविताओं को पढ़कर कवि का जिवन की ओर देखने का एक सुंदर दृष्टिकोन दिखाई दिया। केदारनाथ सिंह की कविताओं के इन्हीं विशेषताओं ने मुझे अपनी ओर आकर्षित किया। आधुनिक कवियों में मेरे प्रिय कवि केदारनाथ सिंह रहे हैं। तब प्रबंध लिखते हुवे केदारानाथ सिंह की अन्य काव्यसंग्रहों की अनेक विशेषताओं को जानने की इच्छा मन में जागृत हुईं इसी इच्छा तथा आकर्षण के कारण मैंने अपनी पी.एच्.डी के प्रबंध के लिए केदारनाथ सिंह के काव्यसंग्रहों को चुना।