इक्कीसवीं सदी के उपन्यासों में चित्रित महानगरीय बोध | Original Article
यद्यपि उपन्यासों का संबंध मुख्यतया ग्रामांचल से रहा है पर अनेक ऐसे उपन्यासकार रहे हैं जिन्होंने कस्बों-नगरों, महानगरों के जन-जीवन को वण्र्य-विषय बनाकर उपन्यासों कर रचना की है। इन लेखकों ने महानगरीय विशिष्ट अंचलों के जन-जीवन की समस्याओं, संघर्षों, जीवन पद्धतियों और आकांक्षाओं का सहज चित्रण अपने उपन्यासों में किया है। लेखकों ने भी मोहल्लों की जीवन लीलाओं को वहाँ के रहने वालों की दृष्टि में देखा व उसे महसूस कर उसका जीवंत चित्रण किया है। कमलेश्वर राही, मासूम रजा, गोबिंद मिश्र, शैलेश मटियानी, मनोहर श्याम जोशी, शिवानी रूद्र काशिकेय, अमृतलाल नागर, श्री लाल शुक्ल, शिवप्रसाद सिंह, मोहन राकेश, उदय शंकर भट्ट, अलका सरावगी, नासिरा शर्मा, हरि सुमन विष्ट आदि।